
सूरत, 5 अप्रैल। कन्फ़ेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (CAIT)के टेक्सटाइल & गारमेंट कमेटी के राष्ट्रीय चेयरमैन चम्पालाल बोथरा ने कहा है कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने वैश्विक आयतों पर व्यापक नए टैरिफ लागू किए है एवं भारत के उत्पादों पर 26% की दर से शुल्क लगाया गया है । यह निर्णय भारतीय कपड़ा उद्योग को कई तरीकों से प्रभावित कर सकता है ।
कैट गारमेंट कमेटी के राष्ट्रीय चेयरमैन बोथरा ने कहा कि निर्यात लागत में बढ़ोतरी से अमेरिकी बाज़ार में भारत के कपड़ों और परिधानों की क़ीमते बढ़ेगी जिससे उनकी प्रतिस्पर्धात्मकता कम हो सकती है । वर्तमान में अमेरिका में भारत कपड़े और परिधानों के आयात में तीसरा बड़ा आपूर्तिकर्ता है । बढ़ते टैरिफ की वजह से अमेरिकी खरीददार वैकल्पिक आपूर्तिकर्ताओं की और रूख कर सकते है जिससे भारत की बाज़ार की हिस्सेदारी प्रभावित हो सकती है ।साथ ही बढ़ते टेरिफ की वजह से निर्यात मूल्य में गिरावट आ सकती है इससे उद्योग की आय पर नकारात्मक प्रभाव आ सकता है ।
अमेरिका के बढ़ाए टेरिफ से कॉटन परिधानों की रेट बढ़ जाएगी जिससे अमेरिकी बाज़ार में इनकी प्रतिस्पर्धात्मकता कम हो जाएगी । सूरत सहित सभी सिंथेटिक्स कपड़ों पर भी शुल्क वृद्धि से सिंथेटिक्स उत्पादों की क़ीमते भी बढ़ेगी जिससे निर्यात प्रभावित होगा ।साथ ही भारत के बेडशीट ,पर्दे और कालीन जैसे घर सजाने के उत्पादों पर भी बढ़ी हुई टेरिफ की वजह से माँग में कमी आ सकती है । भारत के तमिलनाडु के तिरुपुर से होने वाले एक्सपोर्ट पर काफ़ी असर आ सकता है तिरुपुर आज भी टोटल कपड़ा निर्यात का 54% योगदान देता है । बढ़ी हुई टैरिफ़ से लागत बढ़ना और महंगा होने से अमेरिकी बाज़ार में अन्य देशों से सामना करना पड सकता है ।
बोथरा ने कहा कि गुजरात के सूरत के सिंथेटिक्स कपड़े का जिसका भारत में 60% का महत्वपूर्ण उत्पादन में योगदान है उसके निर्यात पर नकारात्मक प्रभाव पड सकता है । अहमदाबाद का डेनिम और जींस के एक्सपोर्ट को भी कम कर सकता है । साथ ही अलग अलग राज्यो के कपड़ा उद्योगों में महाराष्ट्र के मुंबई , वेस्ट बंगाल के कोलकत्ता और कर्नाटक के बैंगलोर , राजस्थान के जयपुर , दिल्ली ,नोएडा के बनते परिधानों के निर्यात को प्रभावित करेगा ।
अमेरिका के 26% टेरिफ का भारतीय बाज़ारो के रेडीमेड गारमेंट , कॉटन यार्न , कॉटन फैब्रिक और परिधान , सिंथेटिक , विस्कोस , नाईलोन के परिधान और फैब्रिक्स और बेडशीट , पर्दे , तोलिये , कारपेट , हैंडलूम , हस्तशिल्प आदि सभी के व्यापार के निर्यात में लागत और प्रतिस्पर्धा बढ़ जाएगी । इन सब चुनौतियों का सामना करने और भारत के कपड़े के एक्सपोर्ट बढ़ाने के लक्ष्य को हासिल करने के लिए भारत सरकार को उचित बातचीत कर कपड़े पे दोनों देश शुन्य शुन्य टैरिफ़ समझौता करने से ही दोनों देशों के निर्यातकों को समान अवसर प्राप्त हो सकते है । साथ ही भारत सरकार सभी देशों के टैक्स की तुलनात्मक अध्यन कर टैक्स छूट रिबेट आदि दे तो अमेरिका द्वारा विभिन्न देशों पर लगाए गए नए टैरिफ से भारतीय वस्त्र उद्योग के लिए कुछ अवसर उत्पन्न भी कर सकता है हालांकि भारतीय वस्त्र निर्यात पर 26% का टैरिफ लगाया गया है, लेकिन यह दर अन्य प्रतिस्पर्धी देशों की तुलना में कम है।