
सूरत, 8 अक्टूबर। 25000 रूपये से ऊपर के कपड़ों पर 18% GST से दुल्हन,व्यापारी और गारमेंट उद्योग पशोपेश मे है एवं इनकी समस्या को लेकर CAIT ने केंद्र सरकार से हस्तक्षेप की मांग की है।
उल्लेखनीय है कि त्योहारी और शादी के सीज़न में रेडीमेड गारमेंट्स पर बढ़ी हुई GST दरों को लेकर पूरे देश के कपड़ा बाजारों में बेचैनी फैल गई है। सरकार द्वारा ₹2,500 से ऊपर के कपड़ों पर GST को 12% से बढ़ाकर 18% करने से शादी और फैशन परिधान बाजार पर सीधा असर पड़ा है।जहाँ ₹2,500 तक के वस्त्रों पर 5% GST बरकरार है, वहीं ऊँचे मूल्य वाले कपड़ों पर 18% की दर से दुल्हन के लहंगे, शेरवानी, गाउन, सूट , कोट , स्वेटर और अन्य रेडीमेड परिधानों की कीमतों में भारी उछाल आया है। लहंगा अनस्टिच होने के बावजूद भी गारमेंट माना जा रहा उसमे सुधार अनिवार्य है साथ ही दुल्हन और बारात की महिलाओं को 18% जीएसटी देना भारी पड रहा है।
CAIT की टेक्सटाइल एवं गारमेंट कमेटी के राष्ट्रीय चेयरमैन चम्पालाल बोथरा ने कहा है कि त्योहारी सीज़न में महंगे रेडीमेड गारमेंट्स पर 18% GST लागू करना न केवल व्यापारियों बल्कि आम उपभोक्ताओं के लिए भी भारी बोझ है।शादी की तैयारियों में जुटे परिवारों का बजट बिगड़ गया है, और व्यापारियों के पास पुराने ऑर्डर्स रद्द होने लगे हैं।
बोथरा ने सरकार से मांग की है कि ₹10,000 तक के वस्त्रों पर GST दर को घटाकर 5% किया जाए, ताकि बाजार में रौनक और उपभोक्ता विश्वास दोनों बने रहें। उन्होने कैट की ओर से यह मांग भी की है कि 10,000 तक के गारमेंट्स पर GST दर 5% तक सीमित की जाए। CAIT और देशभर के कपड़ा व्यापारी संगठनों ने एक स्वर में सरकार से आग्रह किया है कि 18% GST के निर्णय पर पुनर्विचार किया जाए। इससे न केवल त्योहारी और शादी के सीजन में बाजार की रौनक बनी रहेगी, बल्कि करोड़ों छोटे व्यापारियों और लाखों कर्मचारियों को भी आर्थिक राहत मिलेगी।