सूरत, 27 अक्टूबर। रेल मंत्रालय के अंतर्गत काम करने वाला रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) महिला रेल यात्रियों की सुरक्षा बढ़ाने के लिए लगन से कार्यरत हैं। भारत के विशाल रेलवे नेटवर्क पर काम कर रही ‘’मेरी सहेली’’ टीमें लंबी दूरी की रेलगाड़ियों में अकेले यात्रा करने वाली अनगिनत महिलाओं को सहायता और सुरक्षा प्रदान कर रही हैं। ट्रेनों और रेलवे परिसरों के भीतर महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) की महिला कर्मी, पुरुष कर्मियों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम करती हैं।
वर्ष 2023 में अब तक आरपीएफ कर्मियों ने चलती ट्रेनों के पास खतरनाक परिस्थितियों से 862 महिलाओं को सुरक्षित बचाकर उल्लेखनीय कार्य किया है। ‘‘ऑपरेशन नन्हे फरिश्ते’’ के अंतर्गत उन्होंने 2,898 ऐसी अकेली लड़कियों की भी रक्षा की है, जो स्टेशनों और ट्रेनों में संभावित खतरे के दायरे में थीं। इसके अतिरिक्त, उन्होंने 51 नाबालिग लड़कियों और 6 महिलाओं को मानव तस्करों के चंगुल से बचाया है।
आरपीएफ महिला कर्मियों ने गोपनीयता और गरिमा का सम्मान करते हुए, ट्रेन यात्रा के दौरान प्रसव पीड़ा से गुजर रही 130 माताओं के प्रसव में सहायता की है। 185,000 से अधिक हेल्पलाइन कॉल का जवाब देते हुए, आरपीएफ कर्मियों ने यात्रियों की समस्याओं को हल करने के लिए तेजी से काम किया है। आरपीएफ ने रेलगाड़ियों में निराश्रित, अस्वस्थ और बुजुर्गों से संबद्ध समस्याओं को सुलझाया और दिव्यांग महिलाओं को संकटग्रस्त स्थितियों से निकाला।
आरपीएफ ने जन-जागरूकता बढ़ाने और जन सहयोग हासिल करने के लिए 15 अक्टूबर, 2023 दिल्ली हाफ मैराथन में भाग लिया। इस दौरान देश के विभिन्न हिस्सों से महानिदेशक से लेकर कांस्टेबल तक विभिन्न रैंकों के 25 सदस्यीय दल ने आरपीएफ का प्रतिनिधित्व किया। इस दल में पंजाब, पश्चिम बंगाल और महाराष्ट्र की चार महिला आरपीएफ कर्मी भी शामिल थीं, जो आरपीएफ नारीशक्ति का प्रतिनिधित्व कर रही थी।