सूरत, 6 नवंबर । 5 नवम्बर, 2022 को पश्चिम रेलवे का 72वां स्थापना दिवस मनाया गया।
पश्चिम रेलवे ने राष्ट्र की सेवा में अपनी 70 से अधिक वर्षों की यात्रा में कई मील के पत्थर हासिल किए हैं। पश्चिम रेलवे के महाप्रबंधक प्रकाश बुटानी ने पश्चिम रेलवे के सभी अधिकारियों और कर्मचारियों को उनके काम के प्रति समर्पण और पश्चिम रेलवे द्वारा हासिल की गई असंख्य उपलब्धियों के लिए बधाई दी। इस दिन को मनाने के लिए पश्चिम रेलवे द्वारा अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मों पर अपनी हालिया उपलब्धियों और गौरवशाली अतीत के बारे में प्रश्नोत्तरी और इन्फोग्राफिक के माध्यम से एक विशेष अभियान चलाया गया ।
पश्चिम रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी सुमित ठाकुर द्वारा जारी एक प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार बॉम्बे, बड़ौदा और सेंट्रल इंडिया रेलवे कंपनी (बीबी एंड सीआई) का गठन 1855 में किया गया था, जिसकी शुरुआत गुजरात राज्य में पश्चिमी तट पर अंकलेश्वर से उत्राण तक 29 मील ब्रॉड गेज ट्रैक के निर्माण के साथ हुई थी एवं इसका मुख्यालय सूरत में था। उसी वर्ष 21 नवम्बर, 1855 को कंपनी ने ईस्ट इंडिया कंपनी के साथ सूरत से बड़ौदा और अहमदाबाद तक एक रेलवे लाइन बनाने के लिए एक समझौता किया। इस के साथ ही पश्चिमी बंदरगाह में गुजरात में पैदा की जाने वाली कपास की भरपूर आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए उत्राण (सूरत के उत्तर) से तत्कालीन बॉम्बे तक एक लाइन शुरू करने के लिए एक और अनुबंध पर हस्ताक्षर किए गए थे। इसके अगले वर्ष लाइन पर काम शुरू हुआ और उत्राण से बॉम्बे में ग्रांट रोड स्टेशन तक की लाइन को आधिकारिक तौर पर 28 नवम्बर, 1864 को खोला गया जिसके द्वारा मुंबई में पश्चिमी लाइन की शुरुआत हुई।
ठाकुर ने आगे बताया कि बॉम्बे शहर तक एवं उस के भीतर बीबी एंड सीआई की लोकल लाइन की वास्तविक स्थापना की प्रक्रिया और टर्मिनस की पहचान, विशेष रूप से ग्रांट रोड जो कि पहला टर्मिनस था, के दक्षिण मे, एक जटिल मुद्दा था। हालांकि पश्चिमी लाइन की पहली रेल का उद्घाटक रन ग्रांट रोड स्टेशन तक था किंतु यह टर्मिनस उस बड़ी आबादी की पर्याप्त रूप से सेवा नहीं कर सकता था जो आगे दक्षिणी भाग – फोर्ट या कोलाबा की छावनी में या आस पास बसी हुई थी। इसलिए फोर्ट क्षेत्र के पश्चिमी हिस्से के बाहर और पश्चिमी खाड़ी के साथ बैक-बे तक इस लाइन का विस्तार करने का निर्णय लिया गया। इस स्टेशन को बाद में चर्चगेट कहा गया क्योंकि यह गढ़वाले शहर के पुराने चर्च के गेट के करीब था – वही द्वार जो सेंट थॉमस चर्च में प्रवेश हेतु था। यह चर्च कालांतर में कैथेड्रल के रूप में जाना जाता है। पश्चिम रेलवे मुंबई शहर के साथ विकसित हुई है और मुंबई शहर पश्चिम रेलवे के साथ विकसित हुआ है और इस प्रकार ये दोनों एक दूसरे के विकास के पर्याय बने।
अपने वर्तमान स्वरूप में पश्चिम रेलवे 5 नवम्बर, 1951 को अपनी अग्रदूत, तत्कालीन बॉम्बे, बड़ौदा और सेंट्रल इंडिया रेलवे कंपनी (बीबी और सीआई) के अन्य स्टेट रेलवे जैसे सौराष्ट्र, राजपुताना और जयपुर के साथ विलय से अस्तित्व में आयी। पश्चिम रेलवे का वर्तमान क्षेत्राधिकार छह डिवीजनों यानी मुंबई सेंट्रल, वडोदरा, अहमदाबाद, राजकोट, भावनगर और रतलाम तक फैला हुआ है। 3 मार्च, 1961 को पश्चिम रेलवे ने शहर में यात्रियों की बढ़ती मांग के कारण 9-कोच वाली उपनगरीय ट्रेनों की शुरुआत की। 1972 में पश्चिम रेलवे ने भारतीय रेलवे नेटवर्क की सबसे महत्वपूर्ण और व्यस्ततम लाइनों में से एक पर अपनी प्रतिष्ठित मुंबई-नई दिल्ली राजधानी एक्सप्रेस ट्रेन की शुरुआत की। इस वर्ष इस प्रतिष्ठित ट्रेन ने 50 गौरवशाली वर्ष पूरे किए और इसके पहले रन की स्वर्ण जयंती बड़े उत्साह और धूमधाम से मनाई गई थी।
दुनिया की पहली महिला विशेष ट्रेन, पहली 15-कार उपनगरीय ट्रेन और भारत में पहली पूरी तरह से वातानुकूलित उपनगरीय ट्रेन की शुरुआत से लेकर इसने विभिन्न क्षेत्रों जैसे परिचालन, संरक्षा और अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी को अपनाने में कई प्रथम अर्जित करते हुए अपनी यात्रा के दौरान एक के बाद एक मील के पत्थर स्थापित किए हैं 1850 के दशक में ब्रिटिश काल में अपने जन्म के बाद से पश्चिम रेलवे ने अपनी लंबी यात्रा में बार-बार अपनी श्रेष्ठता साबित की है।
हाल ही में पश्चिम रेलवे द्वारा मुंबई सेंट्रल तथा गांधीनगर केपिटल स्टेशनों के बीच अत्याधुनिक वंदे भारत एक्सप्रेस की शुरुआत की गई है। 70 से अधिक वर्षों की अपनी ऐतिहासिक यात्रा में वर्तमान में पश्चिम रेलवे के अंतर्गत महाराष्ट्र, गुजरात और मध्य प्रदेश एवं राजस्थान के कुछ हिस्सों में ब्रॉड गेज, मीटर गेज और नैरो गेज खंडों को मिला कर 6175.9 रूट किलोमीटर का एक विस्तृत रेलवे नेटवर्क है।