आयकर में नये प्रावधान से होने वाली कठिनाईयों से सांसद को अवगत कराया
सूरत, 15 जनवरी। साउथ गुजरात टेक्सटाइल ट्रेडर्स एसोसिएशन (एसजीटीटीए) का एक प्रतिनिधि मंडल संस्था के अध्यक्ष सुनील कुमार जैन के नेतृत्व में बीते शनिवार को गुजरात भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष एवं सांसद सीआर पाटिल से मिला। प्रतिनिधि मंडल ने सांसद का ध्यान एमएसएमई सेक्टर में नये आयकर प्रावधान से सूरत के ट्रेडर्स को होने वाली समस्या की ओर आकर्षित किया। उन्हें बताया गया कि नये इन्कम टैक्स एक्ट के अनुसार एमएसएमई के भुगतान प्रावधानों में माइक्रो एवं स्मॉल यूनिट्स की देनदारी को तय समय में भुगतान नहीं कर पाने की स्थिति में उस रकम को आय में जोड़ दिए जाने और उस पर आयकर की गणना से टैक्स वसूले जाने का प्रावधान किया गया है। यह प्रावधान सूरत के कपड़ा व्यापारियों के लिए मुख्य समस्या एवं भय का कारण बन गया है।
प्रतिनिधि मंडल ने बताया कि एमएसएमई में रजिस्टर्ड सूरत के ट्रेडर्स चाहे वो स्मॉल यूनिट्स हों अथवा मीडियम यूनिट्स की श्रेणी में आते हों, उनको इस नये कानून के तहत एमएसएमई में रजिस्टर्ड खाता धारक या दुकानदार को 45 दिन में पेमेंट करना होगा। इस अवधि में नहीं करने पर इस पेमेंट को सीधा आय में जोड़ दिया जाएगा। जिससे इन्कम टैक्स का इतना बड़ा बोझ आ जाएगा जो कोई भी कपड़ा व्यापारी संभाल नहीं सकेगा। 45 दिन में पेमेंट करना सूरत के लिए इसलिए साधारण बात नहीं है कि सूरत के ट्रेडर्स भाई का पेमेंट ही 90 और 180 दिन के बीच में आता है। 45 दिन में यहां के खाते वालों को और एमएसएमई में रजिस्टर्ड व्यापारियों को ट्रेडर्स भाई कैसे पेमेंट कर पाएंगे?
दूसरी बात यदि 45 दिन में पेमेंट नहीं हो पाया और वह रकम आयकर में जुड़ गई तो यहां का ट्रेडर्स भाई खत्म हो जाएंगे ।
तीसरी बात यह कि 50 करोड़ टर्नओवर से ऊपर वाली एमएसएमई यूनिट मीडियम यूनिट कहलाएगी। जबकि 50 करोड़ से नीचे वाली स्मॉल यूनिट की श्रेणी में आती हैं। 50 करोड़ से ऊपर वाली यूनिट कितने भी दिन में पेमेंट लेने के लिए स्वतंत्र हैं। लेकिन, 50 करोड़ से नीचे वाली यूनिट को 45 दिन में पेमेंट करना बाध्यकारी है। इस कारण व्यापारी 50 करोड़ से कम टर्नओवर वाले ट्रेडर्स से कपड़ा ही नहीं खरीदेगा।
चौथी बात यह कि इस नये कानून से एक नई समस्या यह होगी कि अन फेयर व्यापार यानि दो नंबर में व्यापार करना व्यापारियों की मजबूरी हो जाएगी।
सांसद ने इन सुझावों को गंभीरता से सुना और व्यापार हित में यथासंभव निर्णय कराने के प्रयास करने का आश्वासन भी दिया। प्रतिनिधि मंडल में एसजीटीटीए के डायरेक्टर सुनील मित्तल, प्रदीप केजरीवाल, मोहन कुमार अरोरा, संतोष माखरिया, महेश जैन, नितिन गर्ग,आशीष मल्होत्रा, अजय मारू,प्रकाश छापरिया,संजय अग्रवाल एवं नितिन गर्ग शामिल रहे।
समस्या के निराकरण के लिए सुझाव
एसजीटीटीए के प्रतिनिधि मंडल ने इस समस्या के निराकरण के लिए सांसद सीआर पाटिल को कुछ व्यवहारिक सुझाव भी दिए। जिसके अनुसार-
1) यह कानून 01.04.2023 से 31.03.2024 तक के लिए प्रभावी है। इसे नये वित्त वर्ष यानि 01.04.2024 से 31.03.2025 के लिए लागू किया जाए। नये साल में सभी ट्रेडर्स इस कानून को ध्यान में रख कर व्यापार करेंगे। पेमेंट और लेनदारी देनदारी की व्यवस्थाओं को भी इसी अनुसार सेट कर सकेंगे।
2) स्मॉल यूनिट्स के लिए पेमेंट का स्लेब 45 दिन का है। मीडियम यानि 50 करोड़ से ऊपर टर्नओवर वाली यूनिट के लिए पेमेंट का कोई स्लैब नहीं है। यह स्लैब एक समान कर दिया जाए। क्योंकि दिनों की अनिवार्यता होने से सूरत के ट्रेडर्स का भी भला होगा और पेमेंट के मामले में एकरूपता होने से फेयर वर्किंग शुरू हो जाएगी।