सूरत, 28 दिसंबर। अणुव्रत आंदोलन एक नैतिक अभियान है। देश की जनता के चारित्रिक स्तर को ऊंचा उठाने के लिए एवं समाज में नैतिक मूल्यों की प्रतिष्ठापना करने हेतु राष्ट्र संत आचार्य तुलसी द्वारा दिनांक 1 मार्च 1949 को प्रवर्तित यह आंदोलन 74 वर्ष पूर्ण कर अपने गौरवशाली 75 वें वर्ष में प्रवेश कर चुका है। वर्तमान में अणुव्रत आंदोलन का अमृत महोत्सव वर्ष पूरे देश में अति उत्साह से मनाया जा रहा है। जिसके शुभारंभ की घोषणा अणुव्रत अनुशास्ता आचार्य श्री महाश्रमण जी ने गुजरात प्रवेश के साथ ही अंबाजी के निकट खेरोज में की थी। साथ ही आगामी 1 वर्ष तक की अपनी पदयात्रा को भी अणुव्रत यात्रा के नाम से घोषित किया था।
अणुव्रत आंदोलन अपने आपमें अनोखा एवं विशिष्ट आंदोलन है, क्योंकि, वह पूर्ण रूप से असांप्रदायिक आंदोलन है। किसी भी धर्म का अनुयाई चाहे वह हिंदू हो या मुस्लिम, सिक्ख हो या ईसाई, जैन हो या बौद्ध, आस्तिक हो या नास्तिक इस आंदोलन से जुड़ सकता है। जाति, धर्म, वर्ण या ऊंच-नीच के भेदभाव से सर्वथा मुक्त इस आंदोलन में लाखों-लाखों लोग विश्वास करते हैं।
अणुव्रत आंदोलन अनुशासन, नैतिकता, चरित्र शुद्धि, व्यापार एवं व्यवहार में प्रमाणिकता, नशा मुक्ति, पर्यावरण सुरक्षा सामाजिक कुरीतियों के उन्मूलन आदि के लिए प्रतिबद्ध है। वर्तमान में अणुव्रत अनुशास्ता आचार्य महाश्रमण जी का बहुमूल्य नेतृत्व एवं मार्गदर्शन इस आंदोलन को प्राप्त है यह गौरव की बात है।आचार्य तुलसी द्वारा रचित अणुव्रत गीत भी एक अद्भुत गीत है। अणुव्रत की उपरोक्त भावनाओं का वह प्रतिबिंब है। अणुव्रत के उदात्त संदेश को जन-जन तक पहुंचा कर नैतिक मानवीय मूल्यों को पुनः प्रतिष्ठित करने के उद्देश्य से दिनांक 18:1:2024 को समग्र देश में और विदेशों में भी अणुव्रत गीत महासंगान का भव्य कार्यक्रम आयोजित होगा, जिसमें एक करोड़ से भी अधिक संभागी जुड़ने की आशा है।
इस विशिष्ट एवं अभूतपूर्व कार्यक्रम में देश भर की अणुव्रत समितियाँ, अनेक स्कूल, कॉलेज एवं यूनिवर्सिटी के विद्यार्थी व शिक्षक जुड़ेंगे। इसके अतिरिक्त अनेक धार्मिक- सामाजिक संस्थाएं, व्यापारी संगठन, सामाजिक कार्यकर्ता एवं अधिकारी गण जुड़ेंगे। अणुव्रत विश्व भारती द्वारा आयोजित होने वाले इस अणुव्रत महासंगान कार्यक्रम का कंट्रोल रूम तथा प्रचार प्रसार का दायित्व अणुव्रत समिति ग्रेटर सूरत को प्राप्त हुआ है।