सेज आयुक्त‌ ने शांताबा विधालय‌ के बच्चो को बताया “सफलता‌ का मंत्र”

निर्यात बंधु योजना के तहत कुकेरी गांव के शांताबा विधालय मे आयोजित था विशेष कार्यक्रम

सूरत‌, 25 अप्रैल । भारतीय स्वतंत्रता के 75 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य मे “आजादी का अमृत महोत्सव” अन्तर्गत निर्यात बंधु योजना के तहत शनिवार को नवसारी के चिखली तालुका कुकेरी गांव स्थित शांताबा विधालय‌ मे एक विशेष कार्यक्रम आयोजित किया गया

सूरत‌ सेज‌ के विकास आयुक्त एवं डीजीएफटी के अतिरिक्त महानिदेशक वीरेन्द्र सिंह ( आईटीएस )इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि रहे । उनके साथ ही कस्टम अधिकारियो, सेज यूनिट होल्डर्स एसोसियेशन के अध्यक्ष परेश, सामाजिक कार्यकर्ता गोविंद तोदी एवं मनीष व्यास समेत काफी संख्या मे स्थानीय लोगो ने हिस्सा लिया । कार्यक्रम मे अतिथियो‌ ने योग्य जीवन एवं उसके महत्व, लक्ष्यो को प्राप्त करने की रणनीती, एवं स्वस्थ आदतों पर प्रकाश डाला । 

अपने उद्बोधन मे मुख्य अतिथि‌ सेज आयुक्त वीरेन्द्र सिंह ने
आर्थिक समृद्धि एवं धन सृजन के महत्व पर लोगो को प्रेरित‌ किया उन्होने बताया‌ कि किस तरह से रोजगार के अवसर पैदा होंगे एवं साथ ही साथ कैरियर निर्माण के दौरान अकादमिक सेंवाओ मे रहते हुये किस प्रकार से राष्ट्र- निर्माण किया जा सकता है ।उदबोधन मे सेज आयुक्त वीरेन्द्र सिंह ने एक सिविल सेवक के रूप में अपने जीवन के अनुभव और यात्रा को भी साझा किया और छात्रों को प्रेरित करते हुये बताया कि वे कैसे सिविल सेवा में शामिल हो सकते हैं ? 

कस्टम स्टाफ ने भी बच्चों को शैक्षणिक विषयों और विभिन्न क्षेत्रो मे कैरियर संबंधी मार्गदर्शन किया स्कूल के मैनेजिंग ट्रस्टी द्वारा आगन्तुको के प्रति धन्यवाद ज्ञापित‌‌ किये जाने के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ ।

चिखली तालुका अन्तर्गत कुकेरी गांव स्थित शांताबा विधालय‌ मे तमाम गतिविधियो का संचालन परिमल परमार द्वारा किया जाता है जो अनाथ बच्चो के उत्थान के लिए अथक परिश्रम करने वाले व्यक्ति हैं उनका यह समर्पण गरीब बच्चों को विकास और प्रगति की ओर ले जाता हैं । स्कूल और उसका छात्रावास गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और आवास प्रदान करता है । इस विधालय‌‌ का संचालन मालवी एजुकेशन एंड चैरिटेबल ट्रस्ट कुकरी की ओर से किया जाता‌ है । दान दाताओ से मिलने वाली सहायता राशि से इसके संचालन मे मदद मिलती है । इस संस्था मे महत्वपूर्ण यह कि इसमे पढने वालो मे अधिकतर छात्रायें है जिससे सरकार के “बेटी बचाओ बेटी पढाओ” सूत्र को बल मिलता है ।